शनिवार, 8 दिसंबर 2007

कुछ रास्ते ये भी

दोनों जहाँ देके वो समझे ये ख़ुश रहा
यूं आ पड़ी ये शर्म की तकरार क्या करें
थक के हर मक़ाम पे दो चार रह गये
तेरा पता न पायें तो लाचार क्या करें

8 टिप्‍पणियां:

अबयज़ ख़ान ने कहा…

करना क्या है, दो चार अच्छी सी शायरी और लिखो। फिर लाचार तो बिल्कुल नहीं रहोगे। लगे रहो सिफ़र

mastkalandr ने कहा…

is bhid mei usko kahan talash karun
jab ruthta hai woh, pta nahi deta

janab aur bhi kuch likhiye ..
babar ..naama ..itihas ki jankari achhi hai ..
abhinandan ..mk

दिगम्बर नासवा ने कहा…

बहूत खूब.............

श्यामल सुमन ने कहा…

तेरा पता मिले गर इन्टरनेट पे मुझे।
मैं लिख ही डालूँ खत को विचार क्या करें।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsoman@gmail.com

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर ने कहा…

narayan narayan

उम्मीद ने कहा…

बहुत सुंदर…..आपके इस सुंदर से चिटठे के साथ आपका ब्‍लाग जगत में स्‍वागत है…..

अभिषेक मिश्र ने कहा…

Swagat.

Sanjay Grover ने कहा…

जानता हूं मैं तुमको, ज़ौके-शायरी भी है.....