रविवार, 21 अगस्त 2011

'हजारे ख़्वाहिशें ऐसी'




अन्ना का आंदोलन चाहे जितने अच्छे इरादे से किया जा रहा हो,
सबसे बड़ी भूमिका के रूप में उभरा है मीडिया, खासकर इल्केट्रानिक मीडिया
भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के आगे दूसरी तमाम ख़बरों का गला घोंट रहा है।
अन्ना हजारे का आंदोलन आज देश का आंदोलन बन गया है। बच्चे,बूढ़े, जवान,
महिलाएं कोई तबका ऐसा नहीं है जो इस आंदोलन में शामिल ना हुआ हो।इतना
बड़ा जनसैलाब उमड़ा तो केवल मीडिया की वजह से, इस जनसैलाब में शामिल
होने के लिए लोगों को उकसाता हुआ भी नज़र आया। देश के कोने-कोने से लोग
देश की राजधानी में जमा हुए इतनी भीड़ शायद ही कभी देखने को मिलेगी। इस
आंदोलन ने अगर किसी का बेड़ा गर्क किया है तो वो है 'बॉलीवुड'। बॉक्स ऑफिस
की सांसे अटकी हुई है,लोग या तो घर बैठकर टीवी पर आंदोलन देख रहे है या
फिर आंदोलन में शामिल हो रहे हैं, सिनेमा हॉल खाली जा पड़े हैं, बड़े फाइनेंसर
और डॉयरेक्टर इन दिनों अपनी फिल्म रिलीज करते हुए भी डर रहे हैं। आंदोलन
के इस खेल में न्यूज़ चैनल टीआरपी बटोरने में कामयाब हो गए।
आख़िर क्यों ना हो 21 वीं सदी का गांधी जो हमारे बीच है।

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